३० दिन के अगले कदम

दिन १८: उसके सहकर्मी

कौनसा कार्य है, जो परमेश्वर मुझसे कराना चाहते है?


हम उसके साथ उसके सहकर्मी है।

2 कुरिन्थियों 6:1

क्या आप परमेश्वर को एक जीवन्त, कार्यरत और व्यस्त व्यक्तित्व के रूप में सोचते हैं? ध्यान योग्य बात है कि लगभग हरेक गैर-मसीही धर्म में “देवता” पृथक और एैतिहासिक व्यक्तित्व है।

यीशु ने कहा कि मेरा पिता अब तक काम करता है और मैं भी काम करता हूं (यूहन्ना 5: 17)। परमेश्वर ने इस संसार को दैविक ऊर्जा से भरकर सृजकर अपने आपसे चलने के लिये ऐसे ही नहीं छोड़ दिया है। बल्कि, वह हमारी हर परिस्थिति और हर हाल में भी हमसे बहुत करीबी रूप से जुड़ा हुआ है।

यदि हम यह नहीं पहचान पाते कि परमेश्वर कार्यरत है तब हम अपनी सामर्थ में उस कार्य को करने की कोशिश करते हैं, जो वह हमारे द्वारा करना चाहता है। यह दोनों तरीके अलग-अलग है।

परमेश्वर के कार्य के सहभागी होना एक असाधारण विशेषाधिकार है, वह हमारा मार्गदर्शन करता है और हम उसके सहकर्मी उसके पीछे चलते हैं। आपके सारी इन्द्रियाँ उसके कार्य के प्रति सचेत हो जाती हैं। कुछ भी अचानक नहीं होता। सब कुछ एक बड़ी डिजाइन का भाग बन जाते हैं। उदाहरण के लिये:

  • उदाहरण के लिए आप अपने उस पड़ोसी का दुखी चेहरा देखते हैं, जिसने हाल ही में अपना प्रिय मित्र खो दिया है और आप परमेश्वर की सांत्वना और करूणापूर्वक उनकी ओर बढ़ातें है।
  • आपकी एक अपनी फ्लाइट छूट जाती है और बाद में आपको समझ आता है कि इस देरी में भी परमेश्वर का एक उद्देश्य था।

आपकी वर्तमान स्थिति के विषय में सोचे आप चाहे एक छात्र हो या जब आप अपनी नौकरी करियर या परिवार की शुरूआत करते हो। चाहे आप नौकरी बदल रहे हो अथवा रिटायर होने की योजना बना रहे हो आप जहां पर भी हो यह आकस्मात नहीं है। अपनी दृष्टि को अपनी योजना से हटाकर परमेश्वर की ओर केन्द्रित करे

दिन १९: एक साथ एकत्रित होना


आज के दिन परमेश्वर ने आपके लिये कौनसे अवसर तैयार किये है? क्या आप उस कार्य में मेरा साथ देंगें? क्या आप परमेश्वर के साथ कार्य करने के लिये अवसर ढूँढ़ रहें है?