३० दिन के अगले कदम

दिन १९: एक साथ एकत्रित होना

परमेश्वर ने मुझे किसके साथ जोड़ा है?


...और एक दूसरे के साथ एकत्रित होना न छोड़ें।

इब्रानियों 10:25

परमेश्वर के साथ एक बहुत करीबी रिश्ता रखने के साथ ही, दूसरे विश्वासियों के साथ एकत्रित होने को भी प्राथमिकता दे।

विश्वासियों की मण्डली और कलीसिया अलग-अलग समूह में होती है। वह छोटे झुण्ड भी हो सकते हैं, जो छिपके ऐसे जगहों में मिला करते हैं जहां ऐसी मण्डलियां वर्जित है, और इतनी बड़ी कलीसिया भी हो सकती भी है कि दस एक हजार विश्वासी एक साथ इकट्ठा होते है। अति आवश्यक कलीसिया, जो स्वस्थ, उत्साही और नीतिपूर्ण कार्य करे वह परमेश्वर के आज के उद्देश्य का केन्द्र है।

प्रेरितों के काम 2: 42 में दी गईं नई नियम कलीसिया के उदाहरण और आचरण को दर्शाने वाली एक कलीसिया ढूंढें। चार घटकों ने इनकी तेज बढ़त और बड़े प्रभाव को और तीव्र किया।

  • अच्छी शिक्षा उन्हें सबसे "सही सिद्धाँतों" में जड़युक्त रखती है।
  • संगति ने मित्रता, आराधना, परस्पर प्रोत्साहन और निर्भीक बनाया।
  • रोटी तोड़ने का अर्थ था मिलकर घरों में भोजन करना।
  • प्रार्थना परमेश्वर पर बुद्धि, मार्गनिर्देशन और ताकत के लिए निर्भर होना दर्शाता है।

मसीही संगति के लिये आपका अगला कदम क्या है? आप परमेश्वर से उनसे चुने गए व्यक्तियों और समूहों के साथ आपको मिलाने के लिए प्रार्थना करना। आकार महत्व नहीं रखता पर सच्चे सिद्धांत और शिक्षा महत्वपूर्ण है।

अपरम्परागत साधनों के प्रति खुले विचार रखे। कई सालो के लिए हमारा परिवार घरों में दूसरें कई सारे परिवारों के साथ मिलता था। हमारे बच्चों को पहले सदी की कलीसिया के समान की यह कलीसिया बेहद प्रिय थी। आप पूरे संसार में नये विश्वासियों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बहुत नई कलीसिया बन रही है। कोई एक आपके लिये एकदम सही ठहरेगी।

दिन २०: आराधना


जो लोग परमेश्वर के नजदीक है और जो लोग परमेश्वर से दूर है वह आपके जीवन को देख रहे है। वह क्या देखते है? आप यीशु को कैसे प्रतिबिम्बित करते है?