३० दिन के अगले कदम

दिन ३: परमेश्वर अन्दर से बाहर कार्य करते है

मुझे अब क्या करना है?


हे सब परिश्रम करने वालो और बोझ से दबे हुए लोगों मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा.

मत्ति 11:28

क्या आप धर्म और विश्वास के बीच का फर्क जानते है। हो सकता है कि आपने देखा हो कि धर्म कभी-कभी कठोर और दबा देने वाले नियमों पर आधारित हो सकता हैं। इसके विपरीत, हमारा प्रभु यीशु से सम्बन्ध बहुत ही अलग होना चाहिए। व्यक्तिगत, खुला हुआ, उत्तेजना पूर्ण और स्वतंत्र करने वाला।

प्रभु यीशु चाहते हैं कि हम उनके पास उस तरह से आये जिस तरह से एक बच्चा अपने स्नेहिल माता-पिता के पास आता है। उदाहरणतः मेरी पत्नी और मैं तब बहुत प्रसन्न हो जाते थे जब हमारे छः बच्चों में से कोई भी बांहे पसारे दौड़ते हुए हमारी ओर आकर हमसे लिपटकर गोदी में पूरे विश्वास से भरकर सिमट जाता।

क्या मैं आपको सामान्य से हटकर कुछ करने के लिये कहूँ? आपकी उम्र कुछ भी हो एक मिनट के लिए आप एक बच्चा बन जाये। यीशु के पास ऐसे आये जैसे एक बच्चा अपने माता-पिता के पास बिना किसी विनती और बिना किसी अपेक्षा के आता है।आपको अपने दाँत साफ करने की अथवा बालों को कंगी करने की जरूरत नहीं है। बस आकर उसकी उपस्थिति में रहें, आपके लिये उसके प्रेम का अनुभव करें। क्यों न इसी क्षण यह एक मिनट निकाले?

होने दीजिये कि यह बच्चे का सा आचरण आपमें जीवनभऱ बना रहें। आप विश्वास के स्थान से आगे नये जीवन के रूपान्तरण की शक्ति का अनुभव करेंगें। आप “परमेश्वऱ के लिये कार्य करने” के व्यस्त करने वाले जाल में न फँसे। हमारी सहायता से अधिक वह चाहता है कि हम उस पर विश्वास कर विश्राम करें। इसके द्वारा वह हममें कार्य करता है। उसका कार्य अन्दर से बाहर की ओर होता है बाहर से अन्दर की ओर नहीं।

दिन ४: बाईबिल: सभी कालों के लिये एक ग्रंथ


धर्म और संबंध के बीच क्या फर्क है? क्या आपको यह समझने के लिये सहायता चाहिये?