यीशु की ओर देखें

किसी की परमेश्वर को खोजने में मदद करें

सुसमाचार को हर जगह लोगों को सुनाना की आवश्यकता है


कल्पना कीजिये कि आपने हर प्रकार के कैंसर का एक साधारण इलाज खोज निकाला है। क्या आप इसके विषय में हर किसी को बताना चाहेंगे? यकीनन!

मानवता कैंसर से भी भयानक बीमारी से पीड़ित है। जिसे पाप कहते हैं और यह अनंतकाल की मृत्यु का कारण है। पर परमेश्वर ने अपनी कृपा से इसका इलाज प्रदान किया है, उसका पुत्र , यीशु मसीह।

इस महान सुसमाचार को हर जगह लोगों से बांटने की आवश्यकता है। यीशु मसीह का अपने चेलों को अंतिम आदेश सुसमाचार का संसार में चारों ओर प्रचार करके अपने अनुयायी बनाना था (प्रेरितों १:८)।

अपनी कहानी सुनाएं

आप अपने मित्र को केवल यह बता कर आरम्भ कर सकते कि आपके साथ क्या हुआ। यूहन्ना रचित सुसमाचार हमें बताता है कि किस प्रकार यीशु ने एक अंधे को आँखें दीं।विरोधी नेता उससे यीशु के विषय में प्रश्न पूछते रहे। जिस आदमी ने आँखें पायीं थीं वह बोला “मैं एक बात जानता हूँ कि मैं अँधा था और अब देखता हूँ” (यूहन्ना ९:२५)।” इसलिए अपनी कहानी बताकर शुरुआत करें। बताएं कि किस प्रकार यीशु ने आपका जीवन बदल दिया है और आपके पाप माफ़ कर दिए हैं। आपका जीवन दिखा सकता है कि किस प्रकार परमेश्वर लोगों को परिवर्तित कर सकता है।

परमेश्वर की कहानी सुनाएं

अपनी कहानी बताने के पश्चात समस्या (पाप) और उसका समाधान (यीशु) के विषय में बताना जारी रखें जिसका सार रोमियों ६:२३ में है “क्योकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनंत जीवन है,” अपने मित्र को बताएं कि कोई भी इतना अच्छा नहीं है कि स्वर्ग में स्थान पाए, परन्तु वह सब जिन्होंने यीशु को ग्रहण किया, उसके नाम में विश्वास लाये, उसने उन्हें परमेश्वर की संतान कहलाने का अधिकार दिया (यूहन्ना १:१२) और फिर अपने मित्र को यीशु मसीह को उद्धार और क्षमा के लिए आमंत्रित करने के लिए कहें।

यह सब आत्मा के सामर्थ्य से करें

प्रेरितों १:८ का प्रारंभ फिर से पढ़ें: “परन्तु पवित्र आत्मा जब तुम पर आएगा ...” याद रखें कि हमें अपने सामर्थ्य पर आश्रित होने की आवश्यकता नहीं, परन्तु परमेश्वर पर, उसके पवित्र आत्मा के द्वारा इस विषय और अधिक आप यीशु की ओर ध्यान लगायें के भाग 2 में पढ़ेंगे। यीशु ने अपने चेलों को भेजते समय भी यह सिखाया और कहा, “पवित्र आत्मा उसी घड़ी तुम्हे सिखा देगा कि क्या कहना चाहिए (लूका १२:११,१२)।

दूसरों को यीशु की ओर ध्यान लगाने में मदद करें

पवित्र आत्मा के सामर्थ से अपनी कहानी सुनाये, परमेश्वर की कहानी सुनाये और परिणाम यीशु पर छोड़ दें। हर कोई मसीह का अनुयायी बनने का निश्चय नहीं करेगा। हमारा कार्य सुसमाचार सुनाना है और

परमेश्वर बाकि सब बातों का ख्याल रखेंगे.

अब चूंकि आप काफ़ी सीख चुकें हैं, एक ३० दिन की निर्देशिका को पढ़ना शुरु करें जो आपको अपने मसीही जीवन के अगले कदम में आपकी सहायता करेंगी।